11/28/2015

पलायनवादी

महत्वाकांक्षा की गर्त में डूब गई
अहं की दीवारों के बीच रह गई
टीसती है मुझे हार खुद की
बस  ...
बिन आवाज़ रोते सीत्कारते रह गई
मालूम था मुझे हूँ पलायनवादी मैं
क्या तुम्हारा जाताना जरूरी था ?
थोड़ी बहुत इज़्ज़त थी खुद की
खुद की नज़र से गिराना जरूरी था ??
टूटते ही आज शान की दीवार
मैं भी टूट गई  हूँ
जुड़ सकूगीं फिर न मैं कभी
इतनी बिखर गई  हूँ
डूब जाऊँगी इन अंधेरों  में कही
कोई किरण की आस भी नही
आज स्वीकार करती हूँ मैं
हाँ ! पलायनवादी हूँ,कोई वीर लड़ाक नही
जानती हूँ न हो सकूगीं सफल कभी
इसीलिए लौट रही  वापस अभी
न करुँगी अब उजालों  की तलाश
अँधेरों  में बीतेंगे बाकी  के दिन सभी
न कोई दिलासा न उम्मीद काम आएगी
दिन रात बस  अब यूँही गुजर जाएगी
मुझे बस अब इसी तरह जीना है
पल पल अब आँसुओ  को पीना है
हर उम्मीद पर धोखा खायी हूँ
अपनों से बस खंजर ही पाई हूँ
अब मेरा जीना थोड़ा आसान हो जायेगा
अपना है ही नहीं , जो बे-ईमान हो जायेगा
अपने दर्द से फुर्सत है ही कहाँ
जो औरो के नश्तर वार कर जाएंगे
बहुत चढ़ ली चढ़ाई मैंने
अब ज़िन्दगी ढ़लान पर है
बस उतरते जाना है
अनंत में खो जाना है  !!

VAISSHALI .......
25/11/2015
3.30 noon

असफल

सपने देख उसे पाने की चाह  में
न जाने कहाँ से कहाँ तक आ गए
दर दर भटकते रहे, किनारों की तलाश में
मारे मारे फिरे  .....
सब कुछ लुटा , खाली  हाथ वापस आ गए
कभी इस राह , कभी उस राह
हर राह में मंजिल तलाशी
बस अहं बढ़ता गया और
बढ़ती गई अंदरूनी ख़ामोशी
कमज़ोर नीव पर
कब इमारत  बनती है ??
दर दर भटकने से
कब मंजिल मिलती है ??
पता न था सब पीछे से मुस्काएँगे
बेमतलब कंकर को पहाड़ बताएँगे
जब चलोगे नयी राह खोजने
वे ही चौराहे पर भटकाएँगे
उठाएँगे उंगलियाँ तुम्हारी ओर
हर इलज़ाम होगा तुम्हारे सर
न जाने क्या क्या उपमाएँ मिलेंगी
अंत में सिर्फ 'असफल 'कहलाओगे  !!

VAISSHALI......
25/11/2015
1.30 NOON


11/25/2015

दर्द - ए -ज़िन्दगी

ऐ ज़िन्दगी ......
सबकुछ खोकर बहुत कुछ पाया तुझसे
आँसू , बैचेनी , दर्द और अकेलापन
यही तो असली विरासत है  ......
जो खोया वो मेरा था ही कहाँ
होता तो क्या यूँही खो जाता ??
इतना सब पा कर भी  ...
रास नहीं आती ज़िन्दगी
यूँ दूर दूर जाती है कि
पास नहीं आती ज़िन्दगी
खामोश लब आँसू भरे नैना
दर्द है पास  .....
फिर क्यूँ डराती है ज़िन्दगी ??
गम के साये हैं,अँधेरे घिर आये हैं
रोशनी से घबराती है ज़िन्दगी
अहं की दीवार बनाई
.... "मैं "को ये रास आई 
इस दलदल में फंस गयी ज़िन्दगी

इतना सब पाने की चाह  में
जाने कहाँ खो गयी ज़िन्दगी  !!

Vaisshali ......
24/11/2015
12.30 noon

9/27/2015

क्यूँ ??

क्यूँ भटकता है कोई ?
    अपनी जमीन छोड़ कर
    गैरों की राह में पनाह में

क्यूँ गिरता है कोई ?
   दूजे की बाँह में
   अपनो के आगोश से 

क्यूँ ढूंढता है कोई ?
    कांधा, सहारा के लिए
    खुद बेसहारा होकर

क्यूँ करता है आशा कोई ?
    रुमाल की, आँसू देने वाले से
    खुद उस से ही दुखी होकर

ऐ दिल मान जा कहा ....
    मत कर गैरो पे विश्वास
    यहाँ अपने ही अपने न हुए  !!


------- वैशाली -------
26/09/2015
2:35 Mid-Ni8

    
 

9/26/2015

दिल और दीप जलते हैं .....

बैरी सजन मुझे तड़पाए
सपनो को कुचल कर मुस्काए
जब जब सँजू मैं उसके लिए
जालिम तब तब आँख फिराए
रात खड़ी मैं लिए होंठो पे गीत
आए न साजन रैना यूँ ही गयी बीत
सताकर अनजान बनना है उनकी अदा
झट से बुरा मान जाते है वो सदा
कैसे समझाऊ कितना दुःख होता है मुझे
काश ! कसमें -वादे निभाने आते तुझे
कितना रोकूँ पर दिल कहाँ मानता है
छलक जाते है आँसू दिल कट जाता है
बस यूँ ही मुझे जीना होगा
खून के घूँट पीना होगा
कदर करोगे मेरे जाने के बाद
क्या करोगे जब आएगी मेरी याद
मेरी दीवानगी तुझको सताएगी
तेरी बेरुखी तेरा दिल जलाएगी
तब पछता  के कुछ न पाओगे
यादों में फिर जीना सीख जाओगे
खोकर लोग फिर कहाँ मिलते हैं
बस फिर दिल और दीप  जलते हैं  … !!

----- वैशाली ------
26 /09 /2015
11. 00 AM

9/23/2015

घुटन

भीड़ में घुटती हूँ मैं 
अकेले रहने दो मुझे 
कुछ नहीं भाता मुझको 
चाहे भूखा रहने दो मुझे 
जल - वायु है साथी मेरे

कोई साथ न रास आता मुझे 
जी करता उड़ जाऊ इस जग से 
करूँ विचरण मैं स्वच्छंद नभ में 
पर्वतों की ऊंचाई नाप लूँ 
चाँद पर एक जहाँ बसा लूँ 
काश ! कि यह हो पाता 
रहूँ वहाँ, जहाँ न कोई हो आता
अकेले आए हैं, है अकेले जाना
कुछ बरस साथ सिर्फ अपना पा जाना
बाकी दुनिया माया - जाल है 
अपने
सिर्फ कहने को
असलियत में हम कंगाल है !!
VAISSHALI 
14 /10 /2015 
11 :55 AM

8/04/2015

"तुम याद आए"



तुम याद आए, बहुत याद आए
आज.... 
फिर बरसो बाद, बहुत याद आए !! 

रहते हो सदा तुम साथ ही मेरे 
बचपन से हमने खेल है खेले 
हमेशा तुम रहे मेरे आसपास ही 
साथ ही रहे जुदा होकर भी !! 

काश!... 
 कि तेरी अंतिम झलक पा जाते
तेरी छवि की एक तस्वीर बना पाते 
कहें किसीसे आज हम दर्द अपना 
तेरी आवाज का मरहम पा जाते !! 

बस तेरी यादें ही मेरी अपनी हैं 
खो जाती हूँ उन यादों में अक्सर 
यादें भी तेरी बस खुशियाँ फैलाए
तुम याद आए, आज बहुत याद आए !! 

....... © वैशाली...... 
4/08/2015 
1.30 midni8.

7/28/2015

" भूल गए "

तुम क्या रूठे हमसे, 
हम जहाँ अपना भूल गए !
न भूले साथ गुजारे पल
हम पल पल जीना भूल गए !
बसते हो तुम साँसों में 
हम साँसे लेना भूल गए !
यूँ बस गए हो नैनो मे तुम
हम पलकें झपकाना भूल गए !
आस तेरे आने की, थी बाकी 
हम राह तकना भूल गए !
खोए इस कदर तेरे प्यार में
कि जीना ही हम भूल गए... !!
28/7/2015 
© वैशाली 
5.30 eve.

7/16/2015

हम-तुम

सोचा कुछ कुछ लिखु
                  आपके लिए 
क्या लिखु?  है समझ के परे
दोस्त लिखु ? पर हम दोस्ती
                           से  बड़े
जानम कैसे लिखु ? नहीं व़ो
                     अब तक बने ;) !! 

यूँ तो पहचानते बरस बीत गया 
पर जाना अब हैं हमने
चंद कदमों के ये फासले 
क्या खूब तय किए हमने !! 

धीरे-धीरे परवान चढ़ी
अब आई है वो घड़ी
बिन कहे रह नहीं सकते
दोस्त के बिन जी नहीं सकते !! 

तूने खूब माना है मुझको 
मैने खूब समझा है तुझको 
वक्त की कमी खलती है 
तेरे साथ दोस्ती खिलती है !! 

दोस्ती में इकरार जरूरी है 
दोस्ती में तकरार जरूरी है 
रह नहीं सकते बिन इसके 
दोस्ती में भी प्यार जरूरी है !! 

हम-तुम सिर्फ दोस्त नहीं 
सुख-दुख के साथी हैं 
जैसे संग है रहते 
दिया और बाती हैं !! 

..... ©वैशाली..... 
16 /07 /2015 
12.30 noon 







7/11/2015

कश्मकश


कश्मकश से भरी राहें
उलझा देंगी तुमको !
क्यूँ हो इस कश्मकश में
आ जाओगे दो राहों पर !
यूँ न उलझाओ खुद को
चल पड़ो एक राह पर !
पता है चुनना हैं कठिन
दोनो राहे है प्यारी तुमको !
मत चुनो सुनो दिल की
चल पड़ो साथ दोनों के !
एक के साथ हो लो
दूजी का साथ ले लो !
किसी एक को चुनना
वैसे भी अन्याय होगा...
तुम्हारे साथ
उसके साथ
सबके साथ... !!
..... वैशाली.....
10-11/07/2015
00:40 MIDNI8

7/09/2015

अलविदा

हम तुम साथ नहीं,
मुझको विश्वास नहीं।
ये जो प्यार है हमारा
तुमको है दरकार नहीं।।
आज भुला बैठे हो तुम
क्या खोया एहसास नहीं।।
एक तरफा आग है शायद
तुमको मुझसे प्यार नहीं।।
मन का था ये बंधन
तन की ये मुलाकात नहीं।।
तोड़ा तुमने जो रिश्ता
चाहत का अंजाम नहीं।।
टूट कर भी जुड़ा रहेगा
हम बिखरने देंगे नहीं।।
है यकीन मुझको ये
तुम भुला पाओगे नहीं।।
तरस जाओगे तुम देखना
आवाज सुन पाओगे नहीं।।
तेरे शहर से जो गुज़रे
मिलने की चाहत नहीं।।
अब . ... .
तेरे प्यार  में वो बात नहीं
कशिशो की सौगात नहीं।।

अलविदा कहते हैं तुझको. .. ..
तुझ पर अब विश्वास नहीं

अलविदा है तुझको
तेरे प्यार के तलबगार नहीं।।

... . वैशाली.... .
09 /07 /2015
11.05 pm



6/29/2015

अतीत के पन्ने

कोई नहीं पढ़ता...
हाँ मैं भी नहीं  पढ़ती
बार - बार
खुद की लिखी
रचनाओं को
अतीत के उन पन्नों को
याद दिलाती है वो
फिर वही पल,
 फिर वही लम्हे
फिर गुजरती हूँ मै
उन्हीं भावनाओं से
बार - बार वहीं जाना
अब नहीं भाता मुझे
भूल जाना चाहती हूँ
अतीत के उन पन्नों को
जिन से गुजरते हुए
भावनाओं में बह कर
अपनी आकांक्षाओं को
उतारा था शब्दों में
मायने जिनके बदल गए...
यूँ भी पलट कर देखना
कोई समझदारी तो नहीं
हाँ...
भूल जाना ही  बेहतर होगा
हाँ....
भूल ही जाना चाहती हूँ मैं
अतीत के उन पन्नों को... !!

..... वैशाली......
29/6/2015
9.20am 

6/12/2015

बस यूँही रहा करो ....

बस यूँही  रहा करो

कुछ तुम कहा करो
 कुछ हमसे सुना करो !

 सुबह का पहला पैगाम
                 भेजा करो
हमारा आदाब भी
          स्वीकार करो !

प्यार करो इकरार करो
मुस्कराहट से वार करो  !

बीमार किया है जो
           इस दिल को
उसका तुम इलाज़ करो  !

हाथों में हाथ लिया करो
साथ हमारा दिया करो  !

नहीं कहती वादे किया करो
किए वादो को तो पूरा करो  !

काम करो ,थोड़ा आराम भी करो
सेहत का भी ध्यान धरा करो  !

सपनों  में तो आते ही हो
कभी यूँही मिलने आया करो  !

लबों  से लब मिल जाने दो
हमें  बाँहों में भरा करो  !

कुछ और नहीं चाहते तुमसे
बस प्यार करो और प्यार करो  !

सिर्फ और सिर्फ मुझसे
इकरार करो और प्यार करो !!

ओ मेरे सनम.……

बस यूँही  रहा करो
 बस मुझे ही प्यार करो  !!

……… वैशाली ..........

12/06/2015
12.30 noon

अंतिम श्वास...

कैसे करूँ ऐतबार सनम
हर कसमें तूने तोडी़
हर वादे से मुहँ मोडे
कितना मुझे है तूने सताया
हर दिन हर पल इंतजार कराया
तू ही बता अब मैं क्या करूं?
इंतजार की घडि़याँ बंद कर दूँ?
कैसे कटी रातें तूने न जाना
दिन का चैन खोया तूने न माना
देखना कहीं देर न हो जाए
प्यार से एतबार न उठ जाए
उठ न जाए कहीं वादों से विश्वास
इंतजार में न निकल जाए
              मेरी अंतिम श्वास...
11/5/2015
8.30 am 

6/11/2015

तुम जीते मैं हार गई

अचानक हम यूँ टकराये
तुमने दिल के हाल बताये
मुझमें खोया प्यार जगाया
दिल से दिल हमने मिलाया !!

चढ़ने लगी फिर ख़ुमारी
दीवानगी ने हदें पारी
सपने आने लगे तुम्हारे
दिन-रात हमने तुमपर वारे !!

इश्क़ का रोग लगा बैठे
दिल की बात कहें कैसे
दिन दिन न रहा रात रात न रही
नयी दुनिया हो बसाई जैसे !!

तुम्हारे थे अलग मंसूबे
लागे मुझको जैसे अजूबे
पूरी न हुई चाहत तुम्हारी
उतरने लगी तुम्हारी खुमारी !!

जो तुमने चाहा,तुमको मिला
पहले प्यार फिर हो गए जुदा
चाहत हमारी रह गयी अधूरी
तमन्ना तुम्हारी बना गयी दूरी  !!

प्यार मेरा काफी न था
रोक सकी न मेरी अदा
खुद की भूल कहाँ देखी
हो गए फिर हम जुदा !!

पल पल तुमपर वार गई  पिया
दिल तुमपर मैं हार गई  पिया
फिर भी जाने क्या कमी रह गई
पास आकर भी दूर हो गई
तुम जीते मैं हार गई

तुम जीते मैं हार गई पिया 


तुम जीते मैं हार गई पिया 

..... वैशाली.... 
11/06/2015 
11.30.Am

6/08/2015

अलविदा

सुनो, 
रोऊंगी नहीं मैं तुम्हारे लिए 
भूल जाना चाहते हो, 
तो भूल जाना मुझे! 
मगर, 
मैं याद रखूंगी सदा 
एक खलिश, एक चुभन की तरह
जो याद दिलाए हमेशा मुझे 
फिर एतबार न करना
किसी से प्यार न करना 
न करना सब न्यौछावर किसी पे 
किसी का इंतजार न करना 

सुनो.. कसम है तुम्हे 
जो तुमने कभी याद किया 
जो अधूरी तस्वीर को पूरा किया 
जो लब से कभी नाम लिया 
जो मिलने पर पहचान लिया 

सुनो.. 
ये पढ़कर इसे भी मिटा देना 
न फिर इसे दोबारा पढ़ना 
बचपन की मोहब्बत को भुला देना 
पलटकर कभी न आवाज़ देना

जो कर सको ये सब 
तो कर दिखाना
हम इंतजार करेंगे 
तेरी रूसवाईयों का..... 

अलविदा 

.... वैशाली... 
8/06/2015 
3:20 noon

6/04/2015

दर्द

दर्द गम का पिए जा रहे हैं 
हम बस यूँ ही जिए जा रहे हैं 
कड़वी सी जिंदगी है कुछ इस तरह 
न उगल पा रहे हैं ना निगल पा रहे हैं 
सांझा करे किससे हम दर्द अपना
लोग हमें ही समझाए जा रहे हैं 
दर्द देने वाले को ही इल्म नही 
वो दोहरी जिंदगी जिए जा रहे हैं !!  


...... वैशाली...... 
4/06/15
12.00Noon