6/08/2015

अलविदा

सुनो, 
रोऊंगी नहीं मैं तुम्हारे लिए 
भूल जाना चाहते हो, 
तो भूल जाना मुझे! 
मगर, 
मैं याद रखूंगी सदा 
एक खलिश, एक चुभन की तरह
जो याद दिलाए हमेशा मुझे 
फिर एतबार न करना
किसी से प्यार न करना 
न करना सब न्यौछावर किसी पे 
किसी का इंतजार न करना 

सुनो.. कसम है तुम्हे 
जो तुमने कभी याद किया 
जो अधूरी तस्वीर को पूरा किया 
जो लब से कभी नाम लिया 
जो मिलने पर पहचान लिया 

सुनो.. 
ये पढ़कर इसे भी मिटा देना 
न फिर इसे दोबारा पढ़ना 
बचपन की मोहब्बत को भुला देना 
पलटकर कभी न आवाज़ देना

जो कर सको ये सब 
तो कर दिखाना
हम इंतजार करेंगे 
तेरी रूसवाईयों का..... 

अलविदा 

.... वैशाली... 
8/06/2015 
3:20 noon

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