11/28/2009

Do Raahein

मेरी ज़िन्दगी में दो राहो का बहुत महत्व है  क्यूंकि अक्सर मैं अपने आप को वहीँ पाती हूँ . यूँ लगता है की ज़िन्दगी दो राहो में बट  कर रह गयी है . हर वक़्त किसी एक का चुनाव करो, बहुत मुश्किल है.
बात जब सिनिअर्स और सही बात के लिए आवाज़ उठाने की हो तो क्या करे कोई ? यदि सबके बीच सही बात को उठाये , तो पता ही है की उनको अच्छा नहीं लगेगा . सशक्त पद हमेशा सशक्त व्यक्ति पर हावी होता है . सब एक अच्छा कार्यकर्ता चाहते है पर वह अनुयायी होना चाहिए . बिना बात को बढ़ाये या झगडा किये क्या किया जाये? पीछे हटा जाये?गलत को अनदेखा किया जाये?या फिर चाहे कुछ हो अंजाम ,आवाज़ उठाई जाये ? क्या पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर अच्छा है? साथ ही जंगल के राजा आपकी अनदेखी करे , आप ख़ास से आम बन जाये -यह सही है?
"मुंह पे बोला तो आप अलग-थलग पड़ जाओगे ,
और हाँ में हाँ की तो भीड़ में चलता पाओगे !"

दोस्तों से गुजारिश है की कुछ रौशनी दिखाए .....

11/18/2009

AATMa SAKSHATKAAR

Himmati hai woh, jo chale akele bheed mei

Himmati hai woh, jo daale prabhav kisi pe,

Himmati hai woh, jo uncha uthaye kisi ko

Himmati hai woh, jo bann jaye zindagi kisi ki

Himmati hai woh, jo cha jaye dil-o-dimag mei

Kamzor hai woh, jo aa jaye kisi ke prabhav mei

Kamzor hai woh, jo chale kisi ke peeche

Kamzor hai woh, jo jis par chal jaye jaadu kisi ka

Kamzor hai woh, jo toot jaye chuti parchayi se

Kamzor hai woh, jo sath chutne pe mita de hasti

Kamzor hai woh, jo fir na kare koshish uthne ki

Kamzor hai woh, jo ho jaye be-bass

Kamzor hai woh, jo reh jaye bass taras

Kaun hoon mei....????

HAAN MEI KAMZOR HOON, HAAN MEI KAMZOR HOON...