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9/27/2015

क्यूँ ??

क्यूँ भटकता है कोई ?
    अपनी जमीन छोड़ कर
    गैरों की राह में पनाह में

क्यूँ गिरता है कोई ?
   दूजे की बाँह में
   अपनो के आगोश से 

क्यूँ ढूंढता है कोई ?
    कांधा, सहारा के लिए
    खुद बेसहारा होकर

क्यूँ करता है आशा कोई ?
    रुमाल की, आँसू देने वाले से
    खुद उस से ही दुखी होकर

ऐ दिल मान जा कहा ....
    मत कर गैरो पे विश्वास
    यहाँ अपने ही अपने न हुए  !!


------- वैशाली -------
26/09/2015
2:35 Mid-Ni8