भीड़ में घुटती हूँ मैं
अकेले रहने दो मुझे
कुछ नहीं भाता मुझको
चाहे भूखा रहने दो मुझे
जल - वायु है साथी मेरे
कोई साथ न रास आता मुझे
जी करता उड़ जाऊ इस जग से
करूँ विचरण मैं स्वच्छंद नभ में
पर्वतों की ऊंचाई नाप लूँ
चाँद पर एक जहाँ बसा लूँ
काश ! कि यह हो पाता
रहूँ वहाँ, जहाँ न कोई हो आता
अकेले आए हैं, है अकेले जाना
कुछ बरस साथ सिर्फ अपना पा जाना
बाकी दुनिया माया - जाल है
अपने
सिर्फ कहने को
असलियत में हम कंगाल है !!
अकेले रहने दो मुझे
कुछ नहीं भाता मुझको
चाहे भूखा रहने दो मुझे
जल - वायु है साथी मेरे
कोई साथ न रास आता मुझे
जी करता उड़ जाऊ इस जग से
करूँ विचरण मैं स्वच्छंद नभ में
पर्वतों की ऊंचाई नाप लूँ
चाँद पर एक जहाँ बसा लूँ
काश ! कि यह हो पाता
रहूँ वहाँ, जहाँ न कोई हो आता
अकेले आए हैं, है अकेले जाना
कुछ बरस साथ सिर्फ अपना पा जाना
बाकी दुनिया माया - जाल है
अपने
सिर्फ कहने को
असलियत में हम कंगाल है !!
VAISSHALI
14 /10 /2015
11 :55 AM
14 /10 /2015
11 :55 AM
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