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9/26/2015

दिल और दीप जलते हैं .....

बैरी सजन मुझे तड़पाए
सपनो को कुचल कर मुस्काए
जब जब सँजू मैं उसके लिए
जालिम तब तब आँख फिराए
रात खड़ी मैं लिए होंठो पे गीत
आए न साजन रैना यूँ ही गयी बीत
सताकर अनजान बनना है उनकी अदा
झट से बुरा मान जाते है वो सदा
कैसे समझाऊ कितना दुःख होता है मुझे
काश ! कसमें -वादे निभाने आते तुझे
कितना रोकूँ पर दिल कहाँ मानता है
छलक जाते है आँसू दिल कट जाता है
बस यूँ ही मुझे जीना होगा
खून के घूँट पीना होगा
कदर करोगे मेरे जाने के बाद
क्या करोगे जब आएगी मेरी याद
मेरी दीवानगी तुझको सताएगी
तेरी बेरुखी तेरा दिल जलाएगी
तब पछता  के कुछ न पाओगे
यादों में फिर जीना सीख जाओगे
खोकर लोग फिर कहाँ मिलते हैं
बस फिर दिल और दीप  जलते हैं  … !!

----- वैशाली ------
26 /09 /2015
11. 00 AM