माना मुझसे आपको प्यार नहीं ,
इस लफ्ज़ पर भी ऐतबार नहीं ?
नहीं क़द्र है मेरी आपको
क्या भावनाओं का भी ख्याल नहीं ?
कब कहती हूँ इज़हार करो ,
मेरे इज़हार का तो सम्मान करो
प्यार को प्यार से न लौटाओ,
पर दोस्ती पर न वार करो
दिल तुम्हे चाहता है बचपन से,
पहली मोहब्बत का तो मान करो
खोलो न राज़-ए -इश्क़ अपने,
पर मेंरी बातों पर न शक करो
बदले में नहीं माँगा प्यार मैंने ,
पर यूँ मौन न धारण करो
फिर कहती हूँ आज तुमसे
एक इशारे से जान जाउंगी ,
मेरी बातें न सुनो लेकिन ,
तुम जो कहो मान जाऊँगी ll
तुम जो कहो मान जाऊँगी ........................................ !!