7/24/2014

मृग मरीचिका



मृग  मरीचिका बनके 
न जाने क्या ढूँढती हूँ मैं ?

कस्तूरी का एहसास है मुझे 
न  जाने किसकी प्यास हैं !

बैचैन हूँ ,परेशान हूँ 
हालात  से बेजार हूँ मैं 

हज़ारों अनसुलझे हैं सवाल 
सुलझाने घूमती हूँ मैं  !!

मृग  मरीचिका बनके 
न जाने क्या ढूँढती हूँ मैं ?

6 comments:

Yogi Saraswat said...

हज़ारों अनसुलझे हैं सवाल
सुलझाने घूमती हूँ मैं !!

मृग मरीचिका बनके
न जाने क्या ढूँढती हूँ मैं ?
सुन्दर शब्द

Vaisshali said...

Thanks Yogi Saraswat ji

Puneet Jain 'Chinu' said...

Sawaalon Ke Jawaab Na Dhundho Bejubaan Bankar,
Bus.. Khud Bus Jao Is Duniya Me Ek Sawaal Bankar !

© Puneet Jain 'Chinu'

Vaisshali said...

Thanks Puneet ..... Your comments r vry valuable 4 me

Unknown said...

आपने मानवीय मूल्यों को आपने सव्दो मैं संजोया हैं आर्थो मैं पिरोया हैं।

Vaisshali said...

aapke comments prerna dete hai aur likhne ke liye..thanks anuj kumar