ठान ली है मैंने ,
प्यार की कसमें अकेले निभाऊंगी |
दर्द दे कर थक जाओगे,
पर मैं हँसती जाऊँगी |
तुमने किया था एक तरफ़ा,
मैं पुल बन जाऊँगी |
दूर रहने की करो कोशिश,
मैं यादों में सताऊँगी |
रखो मसरूफ खुद को
पन्नो पर छा जाऊँगी |
जो उठाया जाम तुमने,
छलक छलक जाऊँगी |
काली स्याह रातों को
ख्वाबों में आऊँगी |
कप से उठते धुँए में
मैं ही नज़र आऊँगी |
सर्द सवेरों में अबकी
चाय ठंडी कर जाऊँगी |
कर लो जतन ओ मेरे सनम
पर तुमसे दूर न जाऊँगी |
पर तुमसे दूर न जाऊँगी ॥
प्यार की कसमें अकेले निभाऊंगी |
दर्द दे कर थक जाओगे,
पर मैं हँसती जाऊँगी |
तुमने किया था एक तरफ़ा,
मैं पुल बन जाऊँगी |
दूर रहने की करो कोशिश,
मैं यादों में सताऊँगी |
रखो मसरूफ खुद को
पन्नो पर छा जाऊँगी |
जो उठाया जाम तुमने,
छलक छलक जाऊँगी |
काली स्याह रातों को
ख्वाबों में आऊँगी |
कप से उठते धुँए में
मैं ही नज़र आऊँगी |
सर्द सवेरों में अबकी
चाय ठंडी कर जाऊँगी |
कर लो जतन ओ मेरे सनम
पर तुमसे दूर न जाऊँगी |
पर तुमसे दूर न जाऊँगी ॥
........ © वैशाली........
23/11/2014
2 comments:
जो उठाया जाम तुमने,
छलक छलक जाऊँगी..kya baat..vaisshali..bahut khoobsurat..
Thannks Dr. Dhirendra ji
Post a Comment