11/03/2014

बेपरवाह सनम

वाकिफ़ हूँ तेरी मसरूफ़ियों से ,
तेरी वफ़ा पे है ऐतबार मुझे !
तेरे वादों  से है गिला मुझे 
मेरे ऐतबार का दे तू सिला मुझे !!

जानती हूँ करता होगा तू निभाने की कोशिश 
 न जाने क्यों पीछे छूट जाती हूँ मैं ,
सारी  दुनिया की हैं परवाह तुझे 
 जाने क्यूँ याद नहीं आती हूँ मैं ?

ये इंतज़ार , ये तन्हाई ,
अब नहीं निभायी जाती मुझसे 
अब तू भी 
कर ले किनारा मुझसे 

शायद ये भी मैं सह न पाऊँ 
पल भर भी जी ना पाऊँ 
इस दर्द से मरने का दर्द काम होगा 
फिर तेरी वादा-खिलाफी का भी गम न होगा !! 

--------------- वैशाली --------------------
3/11/14
9:15 AM

2 comments:

Dr. Dhirendra Srivastava said...

ये इंतज़ार , ये तन्हाई ,
अब नहीं निभायी जाती मुझसे
अब तू भी
कर ले किनारा मुझसे ...kya baat kahi hai..Vaisshali..adbhut..

Vaisshali said...

Thanks Dr Dhirendra