11/23/2014

तुमसे दूर न जाऊँगी

ठान ली है मैंने ,
प्यार की कसमें अकेले निभाऊंगी  |
दर्द दे कर थक जाओगे,
पर मैं हँसती जाऊँगी  |
तुमने किया था एक तरफ़ा,
मैं पुल बन जाऊँगी  |
दूर रहने की करो कोशिश,
मैं यादों में सताऊँगी  |
रखो मसरूफ खुद को
पन्नो पर छा जाऊँगी  |
जो उठाया जाम तुमने,
छलक छलक जाऊँगी  |
काली स्याह रातों को
ख्वाबों में आऊँगी  |
कप से उठते धुँए में
मैं ही नज़र आऊँगी |
सर्द सवेरों में अबकी
चाय ठंडी कर जाऊँगी  |
कर लो जतन ओ मेरे सनम
पर तुमसे दूर न जाऊँगी  |
पर तुमसे दूर न जाऊँगी ॥

........ © वैशाली........ 
23/11/2014

2 comments:

Dr. Dhirendra srivastava said...

जो उठाया जाम तुमने,
छलक छलक जाऊँगी..kya baat..vaisshali..bahut khoobsurat..

Vaisshali said...

Thannks Dr. Dhirendra ji