11/05/2014

भूल जाना चाहती हूँ मैं !!

भूल जाना चाहती हूँ मैं

      अपनी ज़िन्दगी को 

      तेरे मेरे प्यार को 
       तेरी झूठी  कसमों को 
     तेरे न निभाए वादों को
     तेरे  झूठों को ,फरेबों को 
    तेरे दिए हुए हर दर्द को 
    तेरी आवाज़ सुनने की बैचैनी को 
    तेरे लिए किये इंतज़ार को  !!

   मेरे तड़पते हुए दिल को ,
   मेरी जागती हुई रातों को,
   मेरे बिस्तर की सिलवटों को,
  मेरे गीले होते गिलाफ़ो को !!

हर एक बात को ,
हर एक जज़्बात को,
हर एक याद को ,
हर एक फ़रियाद को  !!

बस  अब भूल जाना चाहती हूँ मैं 
तुझको -खुदको , अपनी ज़िन्दगी को !!

भूल जाना चाहती हूँ मैं !!

2 comments:

Dr. Dhirendra Srivastava said...

मेरे बिस्तर की सिलवटों को,
मेरे गीले होते गिलाफ़ो को...aaahhh ! kya dard vyakt kiya hai..Vaisshali..

दिल की कलम से said...

Thanks a lot Dr Dhirendra Shrivastava ji