वाकिफ़ हूँ तेरी मसरूफ़ियों से ,
तेरी वफ़ा पे है ऐतबार मुझे !
तेरे वादों से है गिला मुझे
मेरे ऐतबार का दे तू सिला मुझे !!
जानती हूँ करता होगा तू निभाने की कोशिश
न जाने क्यों पीछे छूट जाती हूँ मैं ,
सारी दुनिया की हैं परवाह तुझे
जाने क्यूँ याद नहीं आती हूँ मैं ?
ये इंतज़ार , ये तन्हाई ,
अब नहीं निभायी जाती मुझसे
अब तू भी
कर ले किनारा मुझसे
शायद ये भी मैं सह न पाऊँ
पल भर भी जी ना पाऊँ
इस दर्द से मरने का दर्द काम होगा
फिर तेरी वादा-खिलाफी का भी गम न होगा !!
--------------- वैशाली --------------------
3/11/14
9:15 AM
तेरी वफ़ा पे है ऐतबार मुझे !
तेरे वादों से है गिला मुझे
मेरे ऐतबार का दे तू सिला मुझे !!
जानती हूँ करता होगा तू निभाने की कोशिश
न जाने क्यों पीछे छूट जाती हूँ मैं ,
सारी दुनिया की हैं परवाह तुझे
जाने क्यूँ याद नहीं आती हूँ मैं ?
ये इंतज़ार , ये तन्हाई ,
अब नहीं निभायी जाती मुझसे
अब तू भी
कर ले किनारा मुझसे
शायद ये भी मैं सह न पाऊँ
पल भर भी जी ना पाऊँ
इस दर्द से मरने का दर्द काम होगा
फिर तेरी वादा-खिलाफी का भी गम न होगा !!
--------------- वैशाली --------------------
3/11/14
9:15 AM
2 comments:
ये इंतज़ार , ये तन्हाई ,
अब नहीं निभायी जाती मुझसे
अब तू भी
कर ले किनारा मुझसे ...kya baat kahi hai..Vaisshali..adbhut..
Thanks Dr Dhirendra
Post a Comment