बचती रही उम्र भर देने से जिसे ,
लोग मुझे कहते रहे ,
लोग मुझे कहते रहे ,
अपने मुझे देते रहे ,
फिर भी ना दिया गया मुझसे ,
फिर भी ना दिया गया मुझसे !
न देकर भी बन गयी बुरी ,
न देकर भी बन गयी बुरी
देने वाले अच्छे बनते रहे !
न जाने कब सीखूँगी मै , देना
न जाने कब सीखूँगी मैं , देना ,
एक टका सा जवाब
एक टका सा जवाब !!
2 comments:
मन के अन्तर्दवंद को प्रस्तुत करता हैं।
धन्यवाद, अनुज कुमार जी
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