3/16/2013

अलादीन का जादुई चिराग-3 :- कठिनाइयाँ या सरलता ??



जीवन लहरों सा होता है, कभी बहुत तेज़ तो कभी शान्त। उतार और चढ़ाव, ये  जीवन के अभिन्न अंग है। हम चाहे तो भी इनसे दूर नहीं नहीं जा सकते। वैसे भी प्रकृति का नियम है कि  हम जिस चीज़ या बात से जितना दूर भागते है वही हमारे उतने ही नज़दीक आ जाती है।

        लाखों  लोग है दुनिया में जो ऊँचाई  छूने  की आकांक्षा रखते है किंतु  कुछ ही लोग उसे छू  पाते है, बाकि सभी किस्मत के ऊपर  इल्जाम  लगा कर अपने मन को संतोष दे देते है। किन्तु यह सत्य नहीं है, किस्मत ,वक़्त  - ये शब्द  बहाने है , अपनी हार न मानने और अपनी हार का हार किसी और को पहनाने के लिए।  सत्य यह है कि  - हमारे जीवन में हमारे कार्य से जुडी हर एक नाकामयाबी हमारी अपनी है, 99 % हम अकेले ही जिम्मेदार होते है। 

       हम सपने तो बहुत देखते है, देखना भी चाहिए।  सपने, मंजिल पर पहुँचने की पहली सीढ़ी मात्र है।   हमे समझना होगा की यह सीढ़ी मात्र है , मंजिल नहीं।  क्यूंकि  " सपने सिर्फ देखने मात्र से पूरे नहीं हॊते, कार्य करने से पूरे होते है। "  उन्हें पाने के लिए सही दिशा में, सही तरीकों  से निरंतर प्रयास करना जरूरी होता है।  असफल होना बुरा नहीं किन्तु असफल होने के कारण  खोजने जरूरी है, जो अनेको हो सकते है , जैसे - शायद दिशा ही गलत चुनी हो, कार्य करने के तरीको में कमी हो, मेहनत  में कमी रह गयी हो, या हमे खुद पर ही    १०० % विश्वास न हो, या जो कार्य हम कर रहे है वह हमारी आत्मा की आवाज़ न हो। 

            एक सर्वे के अनुसार भारत देश में अधिकतर लोग वह काम करते है, जो उन्हें करना पड़ता है, अर्थात वो अपने दिल से नहीं , अपनी पसंद का नहीं बल्कि परिवार के कहने पर या किसी अपने के कहने पर या परिस्थिति वश करना पड़ता है। ऐसे किये हुए काम सिर्फ काम बनकर ही रह जाते है , ऊंचइयो पर नहीं पहुचाते । हमे अपना काम अपनी रूचि के अनुसार चुनना चहिये। 

              ज़िन्दगी की जंग में कभी हार तो कभी जीत होती है। हार तब होती है, जब हम मान लेते है। न मनो तो हार मुमकिन ही नहीं है।  कहा ही गया है कि - " मन के हारे हार, मन के जीते जीत "।  हम अपने अवचेतन मन में क्या सन्देश भेजते है, उसी पर हमारी हार और जीत संभव होती है। यदि हम कठिनाई पर ध्यान देंगे तो वही बार बार आएगी और यदि हम उस पर ध्यान न देते हुए यह सोचे की इस से निकलने के और क्या रास्ते है ?, तो हमे यकीनन राह मिल जाएगी । हम क्या सोचते है इस पर हमारी कामयाबी और नाकामयाबी दोनों ही टिकी हुई है। यदि हम दिल से यह मान ले की सब कुछ सरल है , आसान  है तो सच मानिये, आपकी वह कठिनाई , सरलता में बदल जाएगी । पर बात बस इतनी ही है कि  वह सोच,वह आवाज़ दिल से आनी  चाहिए, पूरा विश्वास होना चाहिए ।
             
 दुनिया में सच मने तो ऐसी कोई कठिनाई नहीं है जो हमे कुछ अच्छा  न देकर गयी हो।  सही मायनो में कठिन कुछ होता ही नहीं है , वह तो बस हमारे दिमाग की उपज है। हम राह  में आई रूकावटो को किस रूप में लेते है यह हमारी सोच का ही परिणाम है ..मान लो तो पहाड  है ,नहीं तो कंकर ।  यदि हम ज़िन्दगी के सबक सीखकर आगे नहीं बढ़ते है तो इसमें " भगवन जी " या हमारी " किस्मत" का कोई दोष नहीं है।  सब कुछ दुनिया में आसन है / सरल है  , बस मन में विश्वास होना चहिये। " इरादे पक्के हो तो राहें  बन ही जाती है "।  ठान  लो तो सब कुछ सरल है , आसान है । 

         जीत कठिनाई में नहीं , सरलता में है। जीतना है तो सबकुछ सरल करना सीख लेना चहिये। क्यूंकि दुनिया में बहुत से लोग ऐसे है जिनके लिए वही काम सरल है जो आपको कठिन जान पड़ता है। सोचकर देखिएगा तो जान जायेंगे कि  कुछ भी कठिन नहीं है। 

" दिल की आवाज़ को पहचान लो , 
   मन में बसा लो,एक नई  पहचान लो ।"
         

3 comments:

Anurag said...

9/10 :-)

Unknown said...

हमारे हर कर्मो पापो का फैसला हमारे हर कामयाबी और नाकामयाबी का होसला हमारे मन की उधेड़बुन एंड रस्ते का चुन २नो बातो पर निर्भर हैं लिखा जी आपने

दिल की कलम से said...

Thanks Bhai n Thanks Anuj ji