एक सपना सा पूरा हुआ. मुस्कुराते हुए चेहरे , कुछ शरमाते हुए चेहरे
अजीब सी ख़ुशी दे रहे थे . पढने की कोशिश कर रही थी , चेहरों पे आते जाते
भावो को . पर एक तरफ़ा यह भावनाओ का प्रवाह मन को विचलित सा कर रहा था. मेरे
आगे उजाला था और उनके आगे अन्धकार. समझ से परे था कि यह क्षण में क्या
महसूस किया जा सकता है ? दुःख, उनके लिए जो इस स्तिथि में है या शुक्रिया
भगवान का कि हम इस परिस्तिथि में नहीं है . कितने
प्यारे है वोह . मिलकर लगा कि हमने इस ज़िन्दगी में क्या संघर्ष किया है ?
कहीं न कहीं जा कर हमारा संघर्ष पूरा होता है. परन्तु उनका तो पूरा जीवन ही
संघर्षमय है जो कभी शायद ही पूरा होगा , किन्तु विषाद कि एक रेखा भी उनके
चेहरे पर नहीं है . कितनी सरलता है उनके स्वाभाव में . वहां जा कर सच में
अपना दुख भूल सी गयी और लगा कि वास्तव में मेरे जीवन में दुःख है भी..??
क्या हम स्वयं दुखो का निर्माण तो नहीं कर लेते ? सच ही कहा है किसी ने
... " दुनिया में कितना दुःख है मेरा तो सबसे कम है " .
कितनी अजीब बात है न , लोग सभी को अपने तराजू से तौलते है , क्यों तौलते है दूसरो को ? मुझसे पुछा किसी ने - " कितने पैसे मिलते है इस काम के ? " मुझे हँसी आ गयी , उलटी रीत कब से चल पड़ी , मुझे तो पता ही नहीं चला कि आजकल सीखने वालो को पैसे मिलते है और सिखाने वाला देता है . जो मुझे दुनिया का सबसे बड़ा पाठ सिखा रहे हो उनसे जाकर पैसे माँगना धिक्कार होगा . यह बात कुछ लोग कभी नहीं समझ सकते.
शुक्रिया तो सचमुच है भगवान् का कि इस जनम में कुछ क्षण तो ऐसे दिए जब में सचमुच उनके काम आ सकी जिन्हें वाकई जरुरत है . अप्रत्यक्ष रूप से तो यह सिलसिला काफी दिनों से चल रहा था. पर जो प्रत्यक्ष अनुभव मिला वोह बहुत ही अदभुत रहा . ख़ुशी इस बात की है कि उन्हें भी मेरा साथ पसंद आया जिसके लिए में उनकी शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने मुझे पसंद करने लायक समझा. में सचमुच काफी सालो से इसी प्रयास में थी परन्तु कुछ मौका नहीं मिल रहा था, अब जब मिला है तो संपूर्ण रूप से अपने अंदर समां लेना चाहती हूँ . एक घंटा कहाँ बीत गया पता ही नहीं चला . कितनी आशांएं है उनके हृद्य में , कितने सपने है , कितना कुछ प् लेने की छह है, कुछ न कुछ बनना चाहते है वो . उठाना अच्छा तो नहीं लग रहा था , किन्तु उन्हीके लिए आगे के काम के लिए वहां से उठाना जरूरी था. उठी तो सही पर एक वादे के साथ कि हम जल्द ही मिलेंगे और मिलते रहेंगे.
यह दिन वैसे तो में कभी भुला नहीं पाती , पर शादी के सालगिरह के दिन यह अनुभव सचमुच जीवन का एक अविस्मरनीय अनुभव बन गया . :)
कितनी अजीब बात है न , लोग सभी को अपने तराजू से तौलते है , क्यों तौलते है दूसरो को ? मुझसे पुछा किसी ने - " कितने पैसे मिलते है इस काम के ? " मुझे हँसी आ गयी , उलटी रीत कब से चल पड़ी , मुझे तो पता ही नहीं चला कि आजकल सीखने वालो को पैसे मिलते है और सिखाने वाला देता है . जो मुझे दुनिया का सबसे बड़ा पाठ सिखा रहे हो उनसे जाकर पैसे माँगना धिक्कार होगा . यह बात कुछ लोग कभी नहीं समझ सकते.
शुक्रिया तो सचमुच है भगवान् का कि इस जनम में कुछ क्षण तो ऐसे दिए जब में सचमुच उनके काम आ सकी जिन्हें वाकई जरुरत है . अप्रत्यक्ष रूप से तो यह सिलसिला काफी दिनों से चल रहा था. पर जो प्रत्यक्ष अनुभव मिला वोह बहुत ही अदभुत रहा . ख़ुशी इस बात की है कि उन्हें भी मेरा साथ पसंद आया जिसके लिए में उनकी शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने मुझे पसंद करने लायक समझा. में सचमुच काफी सालो से इसी प्रयास में थी परन्तु कुछ मौका नहीं मिल रहा था, अब जब मिला है तो संपूर्ण रूप से अपने अंदर समां लेना चाहती हूँ . एक घंटा कहाँ बीत गया पता ही नहीं चला . कितनी आशांएं है उनके हृद्य में , कितने सपने है , कितना कुछ प् लेने की छह है, कुछ न कुछ बनना चाहते है वो . उठाना अच्छा तो नहीं लग रहा था , किन्तु उन्हीके लिए आगे के काम के लिए वहां से उठाना जरूरी था. उठी तो सही पर एक वादे के साथ कि हम जल्द ही मिलेंगे और मिलते रहेंगे.
यह दिन वैसे तो में कभी भुला नहीं पाती , पर शादी के सालगिरह के दिन यह अनुभव सचमुच जीवन का एक अविस्मरनीय अनुभव बन गया . :)