ना लफ़्ज़ो में इंकार ना बातो में इकरार,
क्या है उन्हे नहीं प्यार पे एतबार ?
है हमको अटूट विश्वास उन पर
उन्हे नहीं एतबार खुद पर
पहले दबे-दबे फिर साफ लफ़्ज़ो में
किया इज़हार हमने
सरे से नकार दिया खुद
अपना वजूद तुमने
कर गुजर जाएंगे तुम्हारे लिए कुछ भी
ठहरो ना, कुछ कदम चलो तुम भी ।
एक कड़ी नक्षत्र है बीच हमारे,
बीच होकर भी वही है किनारे
मै नहीं कहती मुझसे एक़रार करो
कुछ तो कहो कुछ बात करो इंकार करो
यह चुप्पी तुम्हारी अब बर्दाश्त नहीं होती
नश्तर सी चुभोती न जीने देती न मरने देती !!
क्या है उन्हे नहीं प्यार पे एतबार ?
है हमको अटूट विश्वास उन पर
उन्हे नहीं एतबार खुद पर
पहले दबे-दबे फिर साफ लफ़्ज़ो में
किया इज़हार हमने
सरे से नकार दिया खुद
अपना वजूद तुमने
कर गुजर जाएंगे तुम्हारे लिए कुछ भी
ठहरो ना, कुछ कदम चलो तुम भी ।
एक कड़ी नक्षत्र है बीच हमारे,
बीच होकर भी वही है किनारे
मै नहीं कहती मुझसे एक़रार करो
कुछ तो कहो कुछ बात करो इंकार करो
यह चुप्पी तुम्हारी अब बर्दाश्त नहीं होती
नश्तर सी चुभोती न जीने देती न मरने देती !!
2 comments:
na jine ki tammanna hai na marne ka gum..... hai to sirf tu aur teri tanhai...... tu hi tu samaya hua hai .. muj me.......
thanks !! :)
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