प्रेम : भारतीय संस्कृति के परिपेक्ष में
सभी स्वार्थी है सिर्फ अपने बारे में सोचते है..''कृष्ण'' प्रेम को सही ठहराया जाता है वही ''बटुक्नाथ'' को गलत।
पर इस स्थिति की जिम्मेदार एक स्त्री ही है, यदी वह साक्षर हो और अपने पैरो पर खड़ी हो तो क्या फर्क पड़ता है बटुक्नाथ जैसे पुरुष का जींदगी में होना या न होना..अपने आप में साक्षर होना बहुत बड़ा बल है , फिर जुली, मिली कोई भी आये क्या फर्क पड़ता है? स्त्री स्वंतंत्राता की मिसालहै आज के दौर की फिल्म.." कभी अलविदा न कहना " . हर स्त्री को अपने फैसले लेने का पूरा अधीकार है, उसकी ज़िंदगी उसकी है ..कोई और उसे नही चला सकता.. आज यह फिल्म पुरुष प्रधान समाज को बहुत बुरी ही लगेगी..पर वक़्त यही आ रहा है जहाँ पुरुष के होने न होने का बहुत ज्यादा असर किसी स्त्री पर नही होगा अर्थात् हर स्त्री अपनी ज़िंदगी, प्यार की तारनहार होगी न की उसका पति, पिता या भाई.....अपने प्रेम को स्वयम ही चुंनेगी .........
पर इस स्थिति की जिम्मेदार एक स्त्री ही है, यदी वह साक्षर हो और अपने पैरो पर खड़ी हो तो क्या फर्क पड़ता है बटुक्नाथ जैसे पुरुष का जींदगी में होना या न होना..अपने आप में साक्षर होना बहुत बड़ा बल है , फिर जुली, मिली कोई भी आये क्या फर्क पड़ता है? स्त्री स्वंतंत्राता की मिसालहै आज के दौर की फिल्म.." कभी अलविदा न कहना " . हर स्त्री को अपने फैसले लेने का पूरा अधीकार है, उसकी ज़िंदगी उसकी है ..कोई और उसे नही चला सकता.. आज यह फिल्म पुरुष प्रधान समाज को बहुत बुरी ही लगेगी..पर वक़्त यही आ रहा है जहाँ पुरुष के होने न होने का बहुत ज्यादा असर किसी स्त्री पर नही होगा अर्थात् हर स्त्री अपनी ज़िंदगी, प्यार की तारनहार होगी न की उसका पति, पिता या भाई.....अपने प्रेम को स्वयम ही चुंनेगी .........
4 comments:
blog banane wale n etne sundar lkhne wale ko meri taraf se subhkamnaye.......!!! aab aapne dil ki baat blog pe utar do.....[:)]
Fabulous
vaishali..... a nyc blog created by u...it clearly shows ur hardwork+ur heart's elation n feelings...
DIS BLOG ROCKS ALONG VID U...!!!!!
ur feelings hav been imprinted by u in dis blog.....vich r true from the core..!!!
BEST OF LUCK.
Post a Comment