नकाबो से भरे चेहरे
वक्त को देख बदलते हैं
स्वार्थ की खातिर वो,
अपनो को भी ठगते है !
सही गलत का भेद कहां
खुद को सच समझते हैं
स्वार्थ की खातिर वो,
सारे रिश्ते बुनते है....!!
बेवकूफ़ो की जमात के
संवेदना का दम भरते हैं,
समानता के लिए अब
हम ईश्वर का रूख करते हैं..
मिले वहाँ से न्याय हमें
आस्था इस पर रखते हैं
इसी विश्वास पर हम
हाथ जोड़ नमन करते हैं....!!
नए अनुभव से शिक्षित..
वैशाली
30/04/2016
6.55 pm
वक्त को देख बदलते हैं
स्वार्थ की खातिर वो,
अपनो को भी ठगते है !
सही गलत का भेद कहां
खुद को सच समझते हैं
स्वार्थ की खातिर वो,
सारे रिश्ते बुनते है....!!
बेवकूफ़ो की जमात के
संवेदना का दम भरते हैं,
समानता के लिए अब
हम ईश्वर का रूख करते हैं..
मिले वहाँ से न्याय हमें
आस्था इस पर रखते हैं
इसी विश्वास पर हम
हाथ जोड़ नमन करते हैं....!!
नए अनुभव से शिक्षित..
वैशाली
30/04/2016
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