8/20/2014

विश्रुत

 विश्रुत के 18th जन्मदिवस पर ख़ास भेंट 


गौर गौर है वर्ण , 
नयन नक्ष  है तीखे ,
मम्मी के आँचल से लिपटा  विश्रुत 

नक़ल में है  महारत हासिल 
अति जिज्ञासु मेरा विश्रुत 

सुबह सवेरे अलसाया सा 
देख दूध मचलता विश्रुत 

ज़िद्दी पापा के संग जाने की 
स्नान को है आतुर विश्रुत 

भोजन में न तंग करता 
खिलखिलाते रहता विश्रुत 

बढ़ी रही है शरारते उसकी 
मम्मी को दौड़ाता विश्रुत 

नए नए खाने का इच्छुक 
मीठे, भुजिये का अति शौक़ीन विश्रुत 

इतना प्यारा इतना न्यारा 
हर कोई चाहे हो उनका बेटा विश्रुत !! 

2 comments:

Dr. Dhirendra Srivastava said...

waah ! bahut sundar..Vaisshali..

Vaisshali said...

thanks Dr Dhirendra ji