महत्वाकांक्षा की गर्त में डूब गई
अहं की दीवारों के बीच रह गई
टीसती है मुझे हार खुद की
बस ...
बिन आवाज़ रोते सीत्कारते रह गई
मालूम था मुझे हूँ पलायनवादी मैं
क्या तुम्हारा जाताना जरूरी था ?
थोड़ी बहुत इज़्ज़त थी खुद की
खुद की नज़र से गिराना जरूरी था ??
टूटते ही आज शान की दीवार
मैं भी टूट गई हूँ
जुड़ सकूगीं फिर न मैं कभी
इतनी बिखर गई हूँ
डूब जाऊँगी इन अंधेरों में कही
कोई किरण की आस भी नही
आज स्वीकार करती हूँ मैं
हाँ ! पलायनवादी हूँ,कोई वीर लड़ाक नही
जानती हूँ न हो सकूगीं सफल कभी
इसीलिए लौट रही वापस अभी
न करुँगी अब उजालों की तलाश
अँधेरों में बीतेंगे बाकी के दिन सभी
न कोई दिलासा न उम्मीद काम आएगी
दिन रात बस अब यूँही गुजर जाएगी
मुझे बस अब इसी तरह जीना है
पल पल अब आँसुओ को पीना है
हर उम्मीद पर धोखा खायी हूँ
अपनों से बस खंजर ही पाई हूँ
अब मेरा जीना थोड़ा आसान हो जायेगा
अपना है ही नहीं , जो बे-ईमान हो जायेगा
अपने दर्द से फुर्सत है ही कहाँ
जो औरो के नश्तर वार कर जाएंगे
बहुत चढ़ ली चढ़ाई मैंने
अब ज़िन्दगी ढ़लान पर है
बस उतरते जाना है
अनंत में खो जाना है !!
VAISSHALI .......
25/11/2015
3.30 noon
अहं की दीवारों के बीच रह गई
टीसती है मुझे हार खुद की
बस ...
बिन आवाज़ रोते सीत्कारते रह गई
मालूम था मुझे हूँ पलायनवादी मैं
क्या तुम्हारा जाताना जरूरी था ?
थोड़ी बहुत इज़्ज़त थी खुद की
खुद की नज़र से गिराना जरूरी था ??
टूटते ही आज शान की दीवार
मैं भी टूट गई हूँ
जुड़ सकूगीं फिर न मैं कभी
इतनी बिखर गई हूँ
डूब जाऊँगी इन अंधेरों में कही
कोई किरण की आस भी नही
आज स्वीकार करती हूँ मैं
हाँ ! पलायनवादी हूँ,कोई वीर लड़ाक नही
जानती हूँ न हो सकूगीं सफल कभी
इसीलिए लौट रही वापस अभी
न करुँगी अब उजालों की तलाश
अँधेरों में बीतेंगे बाकी के दिन सभी
न कोई दिलासा न उम्मीद काम आएगी
दिन रात बस अब यूँही गुजर जाएगी
मुझे बस अब इसी तरह जीना है
पल पल अब आँसुओ को पीना है
हर उम्मीद पर धोखा खायी हूँ
अपनों से बस खंजर ही पाई हूँ
अब मेरा जीना थोड़ा आसान हो जायेगा
अपना है ही नहीं , जो बे-ईमान हो जायेगा
अपने दर्द से फुर्सत है ही कहाँ
जो औरो के नश्तर वार कर जाएंगे
बहुत चढ़ ली चढ़ाई मैंने
अब ज़िन्दगी ढ़लान पर है
बस उतरते जाना है
अनंत में खो जाना है !!
VAISSHALI .......
25/11/2015
3.30 noon