सर्द है मौसम, चली ठंडी बयार है !
कंपकपाती ठंडी में,जम जाती हर बात है !
ठण्ड है इतनी कि ,जम गए जज़्बात है !
जम गया है खून सारा, जम गए हालात है !
धुंध छाई है चारों ओर ,नैनो में क़ैद नज़ारे है !
सुनाई न देता कुछ हमे, सन्नाटे यूँ चिल्लाते है !
ठण्ड की यह दहशत देखो,कंपकपाते रिश्ते है !
कल साथ ढूँढते फिरते थे, आज अकेले चाय का लुफ्त उठाते है !!
कंपकपाती ठंडी में,जम जाती हर बात है !
ठण्ड है इतनी कि ,जम गए जज़्बात है !
जम गया है खून सारा, जम गए हालात है !
धुंध छाई है चारों ओर ,नैनो में क़ैद नज़ारे है !
सुनाई न देता कुछ हमे, सन्नाटे यूँ चिल्लाते है !
ठण्ड की यह दहशत देखो,कंपकपाते रिश्ते है !
कल साथ ढूँढते फिरते थे, आज अकेले चाय का लुफ्त उठाते है !!
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