1/11/2013

Adhunik Thand !!

सर्द है मौसम, चली ठंडी बयार है !

कंपकपाती  ठंडी में,जम  जाती हर बात है !

ठण्ड है इतनी कि ,जम  गए जज़्बात  है !

जम  गया है खून सारा, जम  गए हालात  है !

धुंध छाई  है चारों  ओर ,नैनो में क़ैद  नज़ारे है !

सुनाई न देता कुछ हमे, सन्नाटे यूँ चिल्लाते है !

ठण्ड की यह दहशत देखो,कंपकपाते रिश्ते है !

कल साथ ढूँढते फिरते थे, आज अकेले चाय का लुफ्त उठाते है !!